हिंदी भाषा के जैन कवियों में महाकवि भूधरदास जी का नाम उल्लेखनीय है। कवि भूधर दास जी आगरा के निवासी थे और खंडेलवाल जाति के थे। भूधरदास जी कवि एवं पंडित होने के साथ-साथ एक अच्छे प्रवचनकार भी थे। कविवर भूधरदासजी का जन्म विक्रम संवत 1750 में हुआ और उनका देह विलय 1806 में हुआ। कवि भूधरदास जी आगरा के शाहगंज जैन मंदिर में प्रतिदिन शास्त्र प्रवचन करते थे।
भूधरदास जी की रचनाओं में पार्श्व पुराण, जैन शतक एवं भूधर पद संग्रह उल्लेखनीय है।
पार्श्व पुराण में भगवान पारसनाथ के उनके 9 भवों का वर्णन किया है।
जैन शतक में अनेक छंदों के माध्यम से वृद्धावस्था, संसार की असारता, काल सामर्थ्य, स्वार्थपरता, दिगंबर मुनिराजाओं की तपस्या आदि का बहुत सुंदर सरल शैली में निरूपण किया गया है। इसमें 107 छंद है।
भूधर पद संग्रह में विभिन्न विषयों पर आधारित अनेक छंदों की रचना की गई है। इसके साथ ही कवि भूधरदासजी के अनेक अध्यात्मिक भजन भी उपलब्ध है।